Saturday, November 29, 2014
गाय के दूध से रोगों का नाश
गाय के दूध से रोगों का नाश
गाय के दूध में घी और सक्कर मिलाकर पीने से बदन में ताकत आती है | बल वीर्य और पुरषवार्थ इतना बढ़ता है की लिख नहीं सकते |
आँखों की जलन में गाय के दूध की पट्टियाँ रखकर ऊपर फिटिकरी बुरक देने से जलन बंद हो जाती है | ४ -६ दिन ऐसा करना चाहिए |
गौ दूध मंदी मंदी अग्नि पर गरम करके गरम गरम पीने से हिचकियाँ दूर होजाती हैं |
गाय के दूध में बादाम की खीर बनाकर ३ -४ दिन खाने से आधा शीशी या आधे सर के दर्द में आराम हो जाता है |
गाय के दूध में सोंफ घिसकर गाड़ा लेप सिर पर करने से सिर दर्द में आराम होता है
Monday, November 24, 2014
गौ
गाय विश्व की माता है | भारतीय संस्क्रति का मूल स्रोत वेद है |जो ब्रम्हा के दवारा रचित है |वेद शाश्वत है | आयुर्वेद का वर्णन वेदों में ही आता है |स्वास्थ्य का अर्थ शारीरिक ,मानसिक और आत्मिक सुख से है | ये तीनों केवल गाय से ही संभव है |जो लोग गौ पालन करते हैं वो गाय के दूध और गौ मूत्र का आयुर्वेद के अनुसार प्रयोग करके स्वयं को स्वस्थ्य रख सकते हैं |दिल से अगु माता की सेवा करके मानसिक आत्मिक शान्तिप्राप्त कर सकते हैं | लेकिन ये सब गाय बचेगी तो ही संभव होगा |इसलिए ही आप सभी से निवेदन है की हमें गौ सेवा गौ के लिए नहीं बल्कि स्वयं के लिए करनी चाहिए |
गौ रख्या गाय को केवल पूज्यनीय बताकर ही नहीं कीजासक्ति है उसके लिए हमें गौ पलकों को गौ को आर्थिक द्रस्टी से उपयोग बताने होंगे
गाय कामधेनु रूप में सर्व सुख देती है |अगु वंश गोपालक के घर पैदा होता है |गौ पालक आज आर्थिक द्रस्टी से से महत्व देने लगा है| उसका एक कारन गौ चर भूमियों का नष्ट होजा भी है |
जो उसे आर्थिक सोच में लाया है |बछड़ा ,बछड़ी दूध देने तक वह पालन पोषण करता ही है |अर्थ लाभ लेता है परन्तु यह लाभ प्राप्त न होने पर वह उसे किसी प्रकार से बहुत सस्ते मूल्य में बेच देता है |ऐसा गौ वंश क़त्ल खाने पहुंच कर अति क्रूरता से मारा जाता है
अतएव क़त्ल खाने में न पहुंच सके तथा ग्राम ग्राम घर घर में ही आजन्म प्रतिष्ठित हो जाये |इस के लिए "पञ्चगब्य " में वर्णित महत्त्व से गौमूत्र व गोमय की अौषधि जानकारी सरल रीति देना इस महापाप से राष्ट को बचाना है |
गौ रख्या गाय को केवल पूज्यनीय बताकर ही नहीं कीजासक्ति है उसके लिए हमें गौ पलकों को गौ को आर्थिक द्रस्टी से उपयोग बताने होंगे
गाय कामधेनु रूप में सर्व सुख देती है |अगु वंश गोपालक के घर पैदा होता है |गौ पालक आज आर्थिक द्रस्टी से से महत्व देने लगा है| उसका एक कारन गौ चर भूमियों का नष्ट होजा भी है |
जो उसे आर्थिक सोच में लाया है |बछड़ा ,बछड़ी दूध देने तक वह पालन पोषण करता ही है |अर्थ लाभ लेता है परन्तु यह लाभ प्राप्त न होने पर वह उसे किसी प्रकार से बहुत सस्ते मूल्य में बेच देता है |ऐसा गौ वंश क़त्ल खाने पहुंच कर अति क्रूरता से मारा जाता है
अतएव क़त्ल खाने में न पहुंच सके तथा ग्राम ग्राम घर घर में ही आजन्म प्रतिष्ठित हो जाये |इस के लिए "पञ्चगब्य " में वर्णित महत्त्व से गौमूत्र व गोमय की अौषधि जानकारी सरल रीति देना इस महापाप से राष्ट को बचाना है |
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