Tuesday, December 9, 2014

किस दिशा में आज का शिखित समाज

किस दिशा में आज का शिखित समाज आज हमारा देश प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है चाहे वो ब्यापार हो ,शिख्या हो ,तकनीकी हो बहुमंजिला ईमारत हो ,क्रिकेट का खेल या ओलम्पिक में पदक हो ,लगभग आज के सभी खेत्रों में हमारा भारत हर देश से बराबरी करने को तैयार है हमारा युवा किसीभी मुकाबले के लिए पूरी तरह जागरूक अवस्था में नजर आता है | मगर हम सामाजिक मूल्यों की तरफ अपनी दृष्टि डालते हैं तो हमारा देश दिनों दिन पिछड़ता अथवा गिरता हुआ नजर आता है अन्ना हजारे का आंदोलन हो या दामनी के लिए सड़कों पर निकली वो जनता हो अथवा मोदी के लिए युवाओं का निकलकर आना हो इन सभी को देख लगता की देश अब जागरूक होरहा है | लेकिन यह केवल एक भ्रम ही लगता है क्यूंकि जिस तरह आज देश में महिलाओं ,बुजुर्गों और बच्चों के साथ लगातार होने वाली घटनाएं यह बताने के लिए काफी हैं कि ये जागरूकता झूठी है दिखावटी है दामनी कांड के बाद अनेकों बलात्कार दिल्ली में हुए हाल ही की घटना टैक्सी ड्राइवर द्वारा एक युवती के साथ हुई है क्या ऐसा लगता है की यह देश इन्शानो का है मुझे तो लगता है हमारे सामाजिक मूल्य बिलकुल धराशाही हो गए है हम आदमी होकर भी आदमखोरों की तरह समाज में ब्याब्हार कर रहे हैं |बाप बेटे का खून करदेता है ,बेटा माँ बाप का ,पति पत्नी का ,पत्नी स्वार्थ के प्रेम व वाशना के लिए पति का ,और माँ अपने बच्चों का , बहिन भाइयों का , भाई बहिनों का खून कर रहे हैं | इतने पर भी हम खुद को सभ्य समाज का हिस्सा समझते है ,देश को प्रगति शील कहते हैं |क्या फायदा ऐसी तरकी का ,ऐसे शिखित होने का जो हमारे सामाजित मूल्य ही ख़त्म करदे इससे भले तो हम पिछड़े ,अनपढ़ ,गवार ही सही थे कमसे काम इन्शान तो थे