Tuesday, June 10, 2014

भंडारा प्रशाद


भंडारा प्रशाद

आज आप सरे देश के धार्मिक खेत्रों में जहाँ भी जाओगे आपको वहां भंडारे ही भंडारे लगे दिखाई देंगे कही पूरी छोले कही राजमा चावल कही कुछ कहीं कुछ  एक से एक स्वादिस्ट भोजन आपको भंडारों में मिल जायेगा  |

इससे हम और आप क्या समझे की लोग इतनी संख्या में सेवा भावी हो गए हैं की आपने किसी भी तरह के कर्मो के द्वारा अर्जित दान का सदुपयोग कर रहे हैं, भूके को भोजन देर हे हैं प्यासे को पानी पिला रहे ,दारिद नारायण की सेवा कर रहे हैं या कुछ और |

में ऐसे सेवा भावी मित्रों से पहले निवेदन करना चाहूंगा की मुझ मूर्ख के शब्दों से उन्हें पीड़ा हो तो में उनसे ख्यामा चाहता हूँ |

मेरी समझ से न तो ऐसे लोग समाज की सेवा कर रहे हैं और न ही आपने परलोक को सवारने के लिए कोई पुण्य कम रहे हैं ये ऐसे ही कमाया धन ऐसे ही जा रहा है और कम रहे हैं तो केवल पाप |

हमारे यहाँ गिर्राज जी में प्रति दिन अनेकों भंडारे लगते हैं मगर उनमे से भंडारा कोई नहीं होता |

१-इसमें कुछ लोग ऐसे होते हैं की उनके पडोसी ने कही भंडारा लगा तो उन्हें भी लगन क्युकिँ उनके पडोसी को लोग पैसे वाला ,समाज सेवी धार्मिक कहने लगे हैं , समाज में रुतवा है तो में भी आपने रुतबा बनाऊंगा श्रदा बिलकुल न हीं है, ऐसे ही कुछ लोग तो केवल झूठी प्रतिस्प्रदा में रहे हैं |

२-कुछ मुहल्लों में मुकाबला होता है एक मोहल्ले वाले प्रसाद बाँट के आये हैं तो हम भी बनते है  |

३-कुछ संस्थाओं में भी भंडारा करके आगे निकलने की होड़ लगी होती है उस समिति ने पूरी सब्जी बँटी तो हम साथ में हलवा भी बाँटेंगे |

४- कुछ धार्मिक िस्थलों पर पण्डे ,पुजारी ,और धर्मशाला संचालकों के रूप में ठेकेदार होते हैं जो उसमे से कमीशन कमा कर अपनी कमाई करते हैं और लोगों को भंडारे लगाने को प्रेरित करते हैं |

जरा विचार करे :

अन्न दान सबसे सुन्दर दान है कब जब आप किसी ऐसे मनुष्य को भोजन कराते हो जो भूखा है उसके पास सायद आज भोजन का कोई साधन नहीं है |

दुसरे यदि आप की कोई मनोकामना पूरी हुई है और आपने बरीब ,साधु ब्राहम्मण को भोजन करने की बोल रखा है तो वह भोजन बड़े आदर से उदार ह्रदय से आसान पर बिठा कर कराया जाता है | न की एक टेवल लगाकर भीख की तरह बाटा जाता है आब कुछ लोग कहेंगे की हम तो प्रशाद बाँट ते है  आब आप ही विचार करे की प्रशाद का क्या महत्व है प्रशाद बड़ी श्र्दा से दिया  जाता है और श्र्दा से ही लिया जाता है अगर प्रशाद का एक किनका मात्र भी पैरों में गिरजाये तो भरी पाप लगता है भगवान के प्रशाद की महिमा भगवान से किसी भी तरह काम नहीं है |

मित्रो वाही प्रशाद हमारे सामने ही पैरों पड़ा दिखाई देता है हम देखते है की लोग दोना हाथ में लेते हैं और जरासा चख कर फेंक देते

इससे आपको नहीं लगता की हम पुण्य कम रहे हैं या पाप विचार करो और दुसरे जो फेंक रहे है उनको जबरन प्रशाद देकर उन्हें भी पाप का भागी बना रहे है साथ ही धाम में गंदगी करके धाम का अपराध कर रहे हैं |

कुछ ऐसे सज्जन भी होंगे की जी हमें तो भंडारा ही लगानाहै हो सकता है उनकी कोई मजबूरी हो तो में ऐसे लोगों से निवेदन करना चाहूंगा की वो पत्तल पर बिठा कर प्रशाद पवा में यदि वो कहते हैं, की हमें तो प्रशाद बाँटना ही है तो वे सूखा प्रशाद बांटें जिससे ब्यक्ति खाए तो खाए नहीं तो घर ले जाये जिससे प्रशाद पैरों न गिरे और बाँटने वाले और लेने वाले किसी को अपराध न लगे

पुनः ख्यामा के साथ सभी सज्जन को 
 
 
 | | जय श्री कृष्णा  | |

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