Thursday, July 11, 2013

॥ जगत के नाथ जनन्नाथ ॥

 जय श्री राधा कृष्ण
॥ जगत के नाथ जनन्नाथ ॥
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॥जय बलदेव॥॥जय सुभद्रा॥जय जगन्नाथ॥
॥जय बलदेव॥॥जय सुभद्रा॥जय जगन्नाथ॥
जगत के नाथ जनन्नाथ,जग दर्शन को हैं निकले आज
ये दिन बड़े ही दुर्लभ होते,दौड़ पडो छोड़ सब काज 
भक्त वत्सल भगवान,मंदिर से निकल आये हैं
दया,करुणा ,वत्सलता,सब पर ही बरसाए हैं॥

एक बार जो कर ले दर्शन,कोटि जन्म के पाप कट जाए
खींच लिया जो रस्सा रथ का,जन्म-मृत्यु की रस्सी कट जाए॥

प्रभु ले नखरे,भक्त की ठिठोली
शरारतें प्रभु की,भक्त की बोली
कभी वो रथ पर ही,नही आते
कभी चलते-चलते,रुक जाते

अगर दर्शन देना चाहते कहीं,तो फिर प्रभु वही रुक जाते
आज भक्त भगवान के पास नही,भगवान भक्त के पास हैं आते॥

ऐसी ही लीलाएं प्रभु की,सुलभ होती सबके लिए
जगन्नाथ आज निकले हैं,दाऊ,सुभद्रा को साथ लिए.

॥जय बलदेव॥॥जय सुभद्रा॥जय जगन्नाथ॥

परसत चरणारविन्द आपदा हरी

 जय श्री राधा कृष्ण
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नीलाचल
 निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र शुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।


नीलाचल
 निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र शुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।
परसत चरणारविन्द आपदा हरी 
निरखत मुखारविंद आपदा हरी  
कंचन धुप धयान ज्योति जगमगी 
अग्नि कुंण्डल घृतपाव सथरी 
देवन  दवारे ठाडे रोहिणी खड़ी
मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी   
गरुण खंभ सिह पौर यात्री जुडी  
यात्री की भीड़ बहुंत बेंत की छड़ी 
धन्य - धन्य सूरश्याम आज की घडी
परसत चरणारविन्द आपदा हरी

 
जय श्री राधा कृष्ण

॥ठाकुर भले विराजोजी॥

॥ठाकुर भले विराजोजी॥

ठाकुर
  भले  विराजो  जी 
ओडिशा जगन्नाथ पुरी में,
ठाकुर भले विराजो जी 
साधो भले विराजो जी
ठाकुर भले विराजो जी
 उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में 
भले विरोजो जी.
॥जय जगन्नाथ॥॥जय बलदेव॥॥जय सुभद्रा
॥जय जगन्नाथ॥॥जय बलदेव॥॥जय सुभद्रा

काहे छोड़ी मथुरा नगरी
काहे छोड़ी काशी
झारखंड में आये विराजे
वृन्दावन के वासी।
उड़िया मांगे क्षीर खिचड़ी
बंगाली मांगे भात
साधु मांगे दरशन
अभर मांगे महाप्रसाद।


नीलाचल निवासाय नित्याय परमात्मने।
बलभद्र शुभद्राभ्याम् जगन्नाथाय ते नमः।।