॥ जय श्री राधा कृष्ण॥
॥ जगत के नाथ जनन्नाथ ॥
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◕॥जय बलदेव॥◕॥जय सुभद्रा॥◕॥जय जगन्नाथ॥◕
॥ जगत के नाथ जनन्नाथ ॥
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◕॥जय बलदेव॥◕॥जय सुभद्रा॥◕॥जय जगन्नाथ॥◕
◕॥जय बलदेव॥◕॥जय सुभद्रा॥◕॥जय जगन्नाथ॥◕
जगत के नाथ जनन्नाथ,जग दर्शन को हैं निकले आज
ये दिन बड़े ही दुर्लभ होते,दौड़ पडो छोड़ सब काज ॥
भक्त वत्सल भगवान,मंदिर से निकल आये हैं
दया,करुणा ,वत्सलता,सब पर ही बरसाए हैं॥
एक बार जो कर ले दर्शन,कोटि जन्म के पाप कट जाए
खींच लिया जो रस्सा रथ का,जन्म-मृत्यु की रस्सी कट जाए॥
प्रभु ले नखरे,भक्त की ठिठोली
शरारतें प्रभु की,भक्त की बोली
कभी वो रथ पर ही,नही आते
कभी चलते-चलते,रुक जाते
अगर दर्शन देना चाहते कहीं,तो फिर प्रभु वही रुक जाते
आज भक्त भगवान के पास नही,भगवान भक्त के पास हैं आते॥
ऐसी ही लीलाएं प्रभु की,सुलभ होती सबके लिए
जगन्नाथ आज निकले हैं,दाऊ,सुभद्रा को साथ लिए.
◕॥जय बलदेव॥◕॥जय सुभद्रा॥◕॥जय जगन्नाथ॥◕
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