Saturday, June 29, 2013

श्री राधा चालीसा



|| दोहा ||
"श्री राधे वृषभानुजा, भक्तिन प्राणाधार, वृंदा विपिन विहारिणी,प्रणवो बारंबार
जैसो तैसो रावरौ, कृष्णा प्रिय सुख धाम,चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम"
||चौपाई ||
जय वृषभानु कुँवरि श्री श्यामा, कीरति नंदनी शोभा धामा
नित्य बिहारिनि श्यामा अधारा, अमित मोद मंगल दातारा ||
रास विलासिनि रस विस्तारिनि, सहचरि सुभग यूथ मन भाविनि 
नत्य किशोरी राधा गोरी, श्याम प्राण धन अति जिय भोरी ||
करुणा सागर हिय उमंगिनी, ललितादिक सखियन की संगिनी
दिनकर कन्या कूल विहारिनि, कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुल्सावनि ||
नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावै, राधा राधा कहि हरषावै
मुरली में नित नाम उचारे, तुम कारण लीला वपु धारे ||
प्रेमस्वरूपण स्वरूपिणी अतिसुकुमारी,श्यामप्रिया वृषभानुदुलारी
नवल किशोरी अति छवि धामा, धूति लघु लग कोटि रति कामा ||
गौरांगी शशि निंदक बदना, सुभग चपल अनियारे नयना
जावक युत युग पंकज चरना, नुपुर धुनि प्रीतम मन हरना ||
संतत सहचरी सेवा करहि, महा मोद मंगल मन भरहि
रसिकन जीवन प्राण अधारा, राधा नाम सकल सुख सारा ||
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा, धयान धरत निशिदिन ब्रज भूपा
उपजेउ जासु अंश गुण खानी, कोटिन उमा रमा बह्मानी ||
नित्य धाम गौलोक विहारिनी, जन रक्षक दुख दोष नासविनी
शिव आज मुनि सनकादिक, नारद पार ना पाय शेष अरू शारद ||
राधा शुभ गुण रूप उजारी, निरखि प्रसन्न होत वनवारी
व्रज जीवन धन राधा रानी, महिमा अमित ना जाय बखानी ||
प्रीतम संग दीई गलबाही, बिहरत नित्य वृंदावन माही
राधा कृष्ण कृष्ण कहै राधा, एक रूप दोउ प्रीत अगाधा ||
श्री राधा मोहन मन हरनी, जन सुख दायक प्रफुलित बदनी
कोटिक रूप धरे नन्द नंदा, दर्श करन हित गोकुल चंदा ||
रास केलि करि रिझावे, मान करौ जब अति दुःख पावे
प्रफुलित होत दर्श जब पावे, विविध भांति नित विनय सुनावे ||
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा, नाम लेत पूरण सब कामा
कोटिन यज्ञ तपस्या करहू, विविध नेम व्रत हिय में धरहू ||
तऊ ना श्याम भक्तहि अपनावे, जब लगी राधा नाम ना गावे
वृंदावन विपिन स्वामिनी राधा, लीला वपु तब अमित अगाधा ||
स्वयं कृष्ण पवै नही पारा, और तुम्हे को जानन हारा
श्री राधा रस प्रीति अभेदा, सादर गान करत नित वेदा ||
राधा त्यागि कृष्ण को भजि है, ते सपनेहु जग जलधि ना तरी है
कीरति कुवरि लाडिली राधा, सुमिरत सकल मिटहि भाव बाधा ||
नाम अमंगल मूल नसावन, त्रिविध हर हरि मन भावन
राधा नाम लेय जो कोई, सहजहि दामोदर बस होई ||
राधा नाम परम सुखदाई, भजताही कृपा करहि युदुराई
यशुमाति नन्दन पीछे फिराहि, जो कोउ राधा नाम सुमिराहे ||
रास विहारिनी श्यामा प्यारी, करहु कृपा बरसाने वारी
वृंदावन है शरण तिहारी, जय जय जय वृषभानु दुलारी ||

|| दोहा ||
श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम
करहु निरंतर वास में, श्री वृंदावन धाम ||
जय श्री राधा कृष्ण

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