॥ जय श्री राधा कृष्ण॥
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ना मैं
मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
पास हमारे कुछ भी नहीं,
केवल भाव चडाना है ॥
जब से तेरी सूरत देखि,
तुम में प्रेम की मूरत देखि ।
अपना तुम्हे बनाना है,
अपना तुम्हे बनाना है ॥
और किसी को क्या मैं जानू,
अपनी लगन को सबकुछ जानू ।
दिल का दरद सुनाना है,
दिल का दरद सुनाना है ॥
जन्मो से मैं भटकी मोहन,
युग युग से मैं भटकी प्रीतम ।
अब ना तुम्हे भुलाना है,
अब ना तुम्हे भुलाना है ॥
॥ जय श्री राधा कृष्ण॥
फिर भी श्याम को पाना है ।
पास हमारे कुछ भी नहीं,
केवल भाव चडाना है ॥
जब से तेरी सूरत देखि,
तुम में प्रेम की मूरत देखि ।
अपना तुम्हे बनाना है,
अपना तुम्हे बनाना है ॥
और किसी को क्या मैं जानू,
अपनी लगन को सबकुछ जानू ।
दिल का दरद सुनाना है,
दिल का दरद सुनाना है ॥
जन्मो से मैं भटकी मोहन,
युग युग से मैं भटकी प्रीतम ।
अब ना तुम्हे भुलाना है,
अब ना तुम्हे भुलाना है ॥
॥ जय श्री राधा कृष्ण॥
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